Dil tut gya hai


दिल टूट गया है... 

दिल कुछ इस कदर टूट गया है...
की फ़िज़ा भी समेट ना पाए...

सितारें कुछ इस कदर रूठ गए है...
की तलाश भी जायस ना हो पाए...

चाँद भी अब इस कदर मुँह मोड़ ले...
की नूर भी अब नसीब ना हो पाए...

जीना अब बस एक मुराद बन गयी है... 
जिसे मुकम्मल करना भी आयाम को 
मुत्तफ़िक़ नहीं... 



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