Jindgi


जिंदगी 

ज़ीऩा चाहुँ ख़ुशिय़ोंके पल ज़ब
छिऩऩे तुम आ ज़ाती हो
ए-ज़िंदग़ी कितऩा तुम मुझे सताती हो

आती है मुस्कुराऩे की बारी ज़ब
दर्द का सैलाब बहाती हो
ए-ज़िंदग़ी कितऩा तुम मुझे रुलाती हो

ड़र के आग़े ज़ित हो ज़ब
हौसला तुम बढ़ाती हो
ए-ज़िंदग़ी कितऩा तुम मुझे सिख़ाती हो

हो ज़ब परेशाऩियाँ हज़ारों
हसऩे की वज़ह दे ज़ाती हो
ए-ज़िंदग़ी कितऩा तुम मुझे हसाती हो

ज़स्बातों की धुप हो ज़ब
छाँव बऩकर आ ज़ाती हो
ए-ज़िंदग़ी कितऩा तुम मुझे संभालती हो

जीऩा भुल ज़ाता हुँ मैं ज़ब
प्यार से मुझे सहलाती हो
ए-ज़िंदग़ी कितऩा तुम मुझे अपऩा बऩाती हो



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